“यमुना आरती”
जय यमुना जय जल की दाता, कालिंदी तुम जग की माता,
जो कोई तुम्हारे नाम को ध्यावे , कष्ट रोग से मुक्ति पावे .
तुम सूरज की पुत्री प्यारी, दुखियों के सब कष्ट निवारी
यम् नियम तुम्हारे दोउ भाई , भक्तन की तुम सदा सहाई.
श्याम वर्ण अति रूप मनोहर , सुंदर पुष्प माल शोभित कर
तुम विष्णु की अति दुलारी , पातक हारी पाप संहारी .
माँ यमुना पर संकट आयो , नाग कालिया बहुत सतायो,
निर्मल जल विष से भर दीन्हो , बाँधि के तट कष्ट बहु दीन्हो ,
भक्त मुनि सब जाई पुकारा , प्रभु विष्णु तब लिया अवतारा.
कान्हा रूप नन्द घर आये , यमुना तट पर रास रचाये ,
कालीय मर्दन कृष्ण तब कीन्हा , यमुना के सब कष्ट हर लीन्हा
पुनि निर्मल जल भव्य स्वरुपा, यमुना धरी मनोहर रूपा ,
यमुना जल रस बना आधारा, हंसी हंसी कृष्ण कंस को मारा .
सब संतन की रक्षा कीजे , भाई दूज का फल तुम्ही से,
युधिस्ठिर तुम्हारे भेद को जाना, खंदव प्रस्थ तब रहा बियाना
यमुना तट एक नगर बसाया , देवलोक तक विस्मय छाया ,
इन्द्र किये तब वर्षा भारी, यमुना ने तट दिए पसारी
धरती भीतर उदार विस्तारा, वर्षा जल संचित भय सारा
इन्द्र हरा कर स्वर्ग पठायो , इन्द्रप्रस्थ तब नगर कहायो
तुम हो जल अन्न की दाता , अष्ट सिद्धि तुम सुख प्रदाता
चपल चतुर चंचल महारानी , कृष्ण प्रिये तुम्ही पटरानी
कोटी योजन तुम्हरो विस्तारा , कलयुग केवल तुम्ही आधारा.
मात रूप जीवन की दाता, पिता रूप तुम अन्न प्रदाता
सखा रूप फल पुष्प प्रदायी, तुम्हरी महिमा पार न पाई
तुम संत जन कष्ट निवारी, दुष्ट जन तुर्तही संहारी
जय यमुना जय पावन करनी, कष्ट हरण सब मंगल करनी
क्षमा करो हम समझ न पाए , तुमको अगणित कष्ट दिलाये
क्षमा करो हम बांधे तुमको, दूषित जल से सांधे तुमको
क्षमा करो माँ शरण तुम्हारी, क्षमा क्षमा माँ विनती हमारी
जय यमुना जय क्षमा प्रदायी, जय यमुना कालिंदी माई
जय यमुना जय जय महारानी , जय यमुना जय जय पटरानी
-(कपिल मिश्र, यूथ फॉर जस्टिस द्वारा रचित यमुना आरती )
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